सुप्रभातम्: क्या समय से पहले मृत्यु संभव है?

कई मानव भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं। मृत्यु किसकी कब होगी और कौन कितना जियेगा, इसका कोई पैमाना नहीं है। यदि उसे किसी ने भविष्यवाणी कर दी कि वह इतने वर्ष तक जी सकता है, तो शायद वह निश्चिन्त होकर बैठ जाए और किसी बात की परवाह ना करे। कर्मों के साथ भी मनुष्य का यही रवैया रहता है। अगर उसके भाग्य में सफलता है और उसे यह पता चल जाए, तो शायद वह कभी ज्यादा प्रयास ही ना करे। मनुष्य का स्वभाव ही कुछ ऐसा है लेकिन इन सबमें वह यह भूल जाता है कि उसका भाग्य उसके कर्म द्वारा निर्धारित किया गया है। उसके संचित कर्म (पूर्व जन्मों के अच्छे कर्म) हैं, जो उसे इस जन्म में अच्छा जीवन दे रहे और अगर वह इस जन्म के कर्मों की परवाह नहीं करता है, तो उसके पुण्य कर्म का खाता कम होता जाएगा और साथ में उसके भाग्य में भी बदलाव होगा। लोग अक्सर कर्म की अनदेखी कर देते हैं जबकि कर्म ही उनके हरेक जीवन की नींव रखता है। अब सवाल यह है कि अगर किसी के अच्छे पुण्य कर्म से उसे लम्बी आयु प्राप्त होती है, तो क्या समय से पहले उसकी मृत्यु संभव है?

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हिमशिखर धर्म डेस्क

जीवन का शाश्वत सत्य है मृत्यु। मौत से हर कोई डरता है लेकिन मौत का अनुभव व्यक्ति को जीवन की सच्चाई बता जाता है। मृत्यु किसकी कब होगी और कौन कितना जियेगा, इसका कोई पैमाना नहीं है। इसे केवल ईश्वर ही बता सकते हैं। लेकिन कई लोग ज्योतिष और ग्रहों के अनुमान से आयु की अवधि का अनुमान लगा लेते हैं। एक बार उम्र का पता लगा लेने के बाद कई लोग फिर कर्मों की परवाह नहीं करते। लेकिन शास्त्र कहते हैं कि अगर आप लगातार गलत कर्म या पाप करते हैं, तो उससे आपके पुण्य कर्म क्षय होते हैं। कई सारे ऐसे कर्म हैं, जो आपको परिणाम बहुत बाद में या अगले जन्म में देते हैं लेकिन कुछ कर्म ऐसे हैं, जिसका फल आपको तुरंत मिल जाता है और इसका प्रभाव आपके जीवन और भाग्य पर भी दिखने लगता है।

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कई बार कर्म ऐसे होते हैं, जो तुरंत आपको परिणाम देते हैं, आपके पुण्य कर्मों का क्षय कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आपको जिन पुण्य कर्मों के कारण लम्बी उम्र मिली थी, उसका नाश होने के कारण आप अकाल मृत्यु का शिकार भी हो सकते हैं। इसलिए, सनातन धर्म में न केवल कर्म को प्रधानता दी गयी है बल्कि कर्मों पर ध्यान देने को कहा गया है।

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