सुप्रभातम्: महाभारत की बड़ी सीख:कर्ण वध का प्रसंग- श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि किसी अधर्मी को संकट में फंसने पर ही धर्म की याद आती है

जीवन में अधर्म करने वाले लोग जब तक सुख में रहते हैं, तब तक वे धर्म-अधर्म की बात नहीं करते हैं। उन्हें वही सही लगता है, जो वे करते हैं। लेकिन, जब ये लोग संकट में फंस जाते हैं, तब इन्हें धर्म की याद आती है। ये बात कर्ण वध के प्रसंग से समझ सकते हैं। जानिए ये प्रसंग…

Uttarakhand

पंडित उदय शंकर भट्ट

महाभारत का युद्ध एक से बड़े एक कई वीर योद्धओं के बीच लड़ा गया था… और ऐसे ही एक योद्धा थे सूर्यपुत्र कर्ण… जिनका अर्जुन ने वध किया था…

महाभारत युद्ध में एक दिन अर्जुन और कर्ण का आमना-सामना हुआ, उनका युद्ध चल रहा था। तभी कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया।

जब कर्ण के रथ का पहिया जमीन में फंस गया तो वह रथ से उतरकर उसे ठीक करने लगा। वह उस समय बिना हथियार के थे… भगवान कृष्ण ने तुरंत अर्जुन को बाण से कर्ण को मारने का आदेश दिया।

Uttarakhand

अर्जुन ने भगवान के आदेश को मान कर कर्ण को निशाना बनाया और एक के बाद एक बाण चलाए। जो कर्ण को बुरी तरह चुभता हुआ निकल गया और कर्ण जमीन पर गिर पड़े।

कर्ण, जो अपनी मृत्यु से पहले जमीन पर गिर गया था, उसने भगवान कृष्ण से पूछा, “क्या यह तुम हो, भगवान? क्या आप दयालु हैं? क्या यह आपका न्यायसंगत निर्णय है! एक बिना हथियार के व्यक्ति को मारने का आदेश?

Uttarakhand

सच्चिदानंदमय भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए और उत्तर दिया, “जब अधर्मी व्यक्ति किसी समस्या में फंसता है तभी उसे अपने धर्म और मर्यादा की याद आती है। जब भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तब कहां था धर्म, जब द्युत क्रीड़ा में कपट हो रहा था तब कहां था धर्म, जब पांडवों ने उनका अधिकार छीना जा रहा था तब कहां था धर्म, जब अकेले अभिमन्यू की चक्रव्यूह में हत्या की गई तब कहा था धर्म……, यह सभी अधर्म की ही घटनाएं थीं…तब कर्ण तुम्हारा ज्ञान कहाँ था? यह कर्मों का प्रतिफल है, यह मेरा न्याय है।”

श्रीकृष्ण की इन बातों ने कर्ण को निराश कर दिया… अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर कर्ण पर बाण चला दिया, जिससे कर्ण की मृत्यु हुई।
सीख
यह कहानी हमें बताती है कि मनुष्य को हमेशा अच्छाई के मार्ग पर ही चलना चाहिए क्योंकि कभी कभार उसकी गलतियां और बुराइयां ही उसकी जान ले लेती हैं, तब वह चाहे कितना ही इंसानियत की गुहार लगा लें या धर्म की बात कर ले, उसका पक्ष लेने वाला कोई नहीं होता। सोच समझकर काम करें। अगर आज आप किसी को चोट पहुँचाते हैं, उनका तिरस्कार करते हैं, किसी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं। भविष्य में वही कर्म आपकी प्रतीक्षा कर रहा होगा।
Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *