हिमशिखर धर्म डेस्क
एकमात्र पक्षी जो गरुड़ को चोंच मारने की हिम्मत करता है, वह है, कौआ।
यह गरुड़ कि पीठ पर बैठता है और गरुड़ की गर्दन में बेवजह काटता है।
हालांकि, गरुड़ जवाब नहीं देता और ना ही कौवे से लड़ता है. गरुड़ कौवे कि, इस हरकत पर अपना समय एवं शक्ति खर्च नहीं करता है. इसके बदले गरुड़ सिर्फ अपने पंखों को विशाल करता है और आकाश में ऊंची उड़ान भरना शुरू कर देता है।
उड़ान जितनी ऊंची होती है, उतना ही मुश्किल होता है, कौवे के लिए सांस लेना और फिर कौवा सांस न लेने की वजह से गिर जाता है. इसका सीधा सा मतलब है कि, एक बार जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ता है, तो उसे नकारात्मक विचारों से भरे लोगों कि, बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
लेकिन जब आप खुद को गरुड़ कि, तरह आगे बढ़ाते हैं तो, हर कौवे जैसे अनावश्यक लोगों कि, बाधाएं खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी।
गरुड़ से इस बात को सीखते हैं तो, आप अपने आसपास के कौवो रूपी बाधाओं को आसानी से भगा कर, अपने उद्देश्य के लिए आगे बढ़ जाओगे।