हिमशिखर धर्म डेस्क
वास्तु और वनस्पति का गहरा संबंध है। आपके घर एवं आस-पास जैसी वनस्पति होगी, उसके अनुसार ही जीवन में घटनाएं घटित होंगी। यह कहना है जाने-माने वास्तु शास्त्री मनोज जुयाल का। घर के निकट बड़े वृक्षों को लगाने की मनाही वास्तु में की गई है। इससे घर की नींव जहां कमजोर पड़ती है, वहीं आकाशीय बिजली गिरने व तेज आंधी से टूटकर नुकसान पहुंचने का भी भय हमेशा बना रहता है। जहां तक हो सके बड़े वृक्ष दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाने चाहिए। इससे सूर्य के पराबैंगनी तेज किरणों का बुरा भय नहीं पड़ता है।
घर में कांटेदार पौधों को लगाने से बचना चाहिए। प्राचीन वनस्पति शास्त्र में ऐसे पौधों से नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होने की बात कही गई है। इस तरह के कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस, कीनू, गुलाब आदि दक्षिण, पश्चिम में दूरी पर लगाने पर शुभ माने जाते हैं।
वास्तु शास्त्री मनोज जुयाल के अनुसार घर के आस-पास आम, नीम, पपीता, सेब के पेड़ अच्छे माने जाते हैं। आम को शुक्रग्रह का प्रतिनिधि माना जाता है। इससे घर में शान्ति, सौन्दर्य की बढ़ोतरी के साथ ही स्त्रियों का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। उन्होंने घर के मुख्य द्वार पर केले का वृक्ष होना सौभाग्य सूचक बताते हुए कहा कि वेदी के चारों ओर इसको लगाकर वर-वधु सात फेेरे लेते हैं।
इसी तरह दाड़िम, अनार प्रजाति का वृक्ष होता है, जिसमें गणेश और लक्ष्मी का वास माना जाता है। तुलसी को घर में लगाने से वातावरण शुद्ध व कीटाणु रहित बनता है। पिछले कई सालों से वास्तु के क्षेत्र में शोध कर रहे मनोज जुयाल देश-विदेश में इस संबंध में कई कार्यशालाएं आयोजित कर चुके हैं।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का भी अत्यधिक महत्व होता है। इसमें दस दिशाएं मानी गई हैं और हर दिशा के लिए एक विशेष वृक्ष बताया गया है। इसमें दश दिशाएं मानी गई हैं और हर दिशा के लिए एक विशेष वृक्ष बताया गया है। पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव में हमने भले ही वृक्षों की उपयोगिता को मानना बंद कर दिया हो लेकिन भी भी ग्रामीण भारत में वृक्षों को पूरा महत्व दिया जाता है। वृक्षों को धार्मिक भावना के साथ जोड़ने से उनका महत्व और बढ़ जाता है। लेकिन शुद्ध रूप में वह एक वैज्ञानिक तथ्य पर आधारित है।