टिहरी : डारगी गाँव के नवनिर्मित मंदिर में मूर्ति स्थापना

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

Uttarakhand

मासों में उत्तम मास मार्गशीर्ष के महीने में आज ग्रामसभा डारगी के नवनिर्मित नागराजा के मन्दिर में वैदिक मंत्रोंञ्चार के साथ भगवान नागराजा की मूर्ति के साथ राधाकृष्ण, आशुतोष भगवान शंकर, शिवलिंग, शंकर के पञ्चमावतार भैरव देव, दुद्ध्या नृसिंह, भव भय हारक नृसिंह, नन्दी बैल और हनुमान जी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा आचार्य वर जयप्रकाश बहुगुणा, अनुराग बहुगुणा व  अंकेश उनियाल के कुशल मार्गदर्शन में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखते हुए ग्राम वासियों की धार्मिक भावनाओं के अनुरूप सम्पूर्ण विधि से पूरित हुई।

तीन दिन चले इस कार्यक्रम का आयोजन ग्राम सभा डारगी के सुयोग्य नागरिकों सभी नेगी बन्धुओं, भट्ट बन्धुओं, अमोला बन्धुओं और गांव में रहने वाले अन्य लोगों की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए ग्राम सभा की महिला प्रधान किरन नेगी, मन्दिर समिति के अध्यक्ष धन सिंह नेगी ने सहिष्णुता का परिचय देते हुए विगत वर्ष दिसम्बर में मन्दिर को नया आकार प्रकार देने की अभिलाषा से प्रारम्भ किया व कोरोना जैसी महामारी के व्यवधान के बाद भी एक वर्ष में मन्दिर का कार्य पूर्ण कर सबके अथक प्रयास से भव्यता की ओर ले जाकर सभी मूर्तियों को अपने अपने स्थान में स्थापित कर सम्पूर्ण क्षेत्र में चेतना का विगुल फूंका।

मेरा अनुमान कुछ ज्यादा था पर ज्ञात हुआ कि मात्र बीस लाख रुपयों ने समाज को इस भव्यता के दर्शन करवाए। त्रिदिवसीय इस कार्यक्रम में टिहरी विधानसभा के भूतपूर्व विधायक विगत विधानसभा में कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै ने अपने सहयोगियों के साथ कल दिनांक 30-11-2021को मत्था टेक कर ग्राम सभा डारगी के सुयोग्य नागरिकों को वधाई दी। आज प्राण प्रतिष्ठा के सुअवसर पर टिहरी के विधायक डॉ० धन सिंह नेगी, चम्बा विकास खण्ड की प्रमुख शिवानी बिष्ट एवं अन्य व्यक्तियों के साथ पदार्पण कर ग्राम सभा के इस पुनीत कार्य की भूरि भूरि प्रशंसा की। साथ ही आज ही टिहरी विधानसभा के भूतपूर्व  विधायक किशोर उपाध्याय ने भी अपने सहयोगी के साथ आकर भगवान नागराजा के गर्भगृह में शीश नवाया।

बहुत बड़ी आवश्यकता है कि आज जब हम ‘तब से लेकर जब से सरकार रास्तों को बनवाने हेतु धनराशि मुहैया करावा रही है सदैव रास्ते ही बनवाये जा रहे हैं,’ अब जरुरत है इस तरह के पुनीत कार्य करवाने की जो समाज को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। सबसे कठिन है समाज को जोड़ना, तोड़ना आसान है। हम यदि किसी व्यक्ति पर उपकार नहीं कर सकते हैं तो अपकार का अधिकार किसी ने नहीं दिया है।

वैसे भी यह देव भूमि है, यहां के प्रत्येक पत्थर पर ईश्वर का अंश है। यत्र तत्र हर स्थान में मठ और मन्दिरों की भरमार है, हर पर्वत की चोटी पर किसी न किसी देवी-देवता का वास है। नागराजा मन्दिर के विषयक हम जानते हैं कि शालिवाहन जिनके नाम पर राष्ट्रीय शक सम्वत चल रहा है/ प्रचलित है वह राजा नागवंशी थे, जिनका प्रमाण ईसवी की प्रथम शताब्दी के बाद का मिलता है,यही कारण है कि यहां हम नाग पूजा करते हैं, नाग भगवान शंकर के आभूषण भी हैं, इन पर्वतीय अंचलों में नागनाथ, पुष्कर नाग, लोदिया नाग, स्यूरिया नाग,भेंकल नाग, शेषनाग न जाने कितने नागराजा के मन्दिर है। और हमारी आस्था के प्रतीक यह हमारे इष्ट देवता भी है शायद हर गांव में नागराजा की पूजा अर्चना होती है।

दूधारू गाय भैंस के दूध को तीन या पांच दिनों तक अपने प्रयोग में न कर (अस्ता) भगवान नागराजा के निमित्त अलग रखते हैं और उस दूध, दही, घी का प्रयोग भगवान की पूजा के लिए करते हैं यह है हमारी आस्था। आज आस्था के इस पवित्र मंजर को देख कर अतीत लौट आया और एक छोटे-से मण्डप से चल कर हमारी आस्था इस प्रकार के मन्दिर तक पहुंची।

शनै: शनै: ईश्वर की कृपा हम पर होगी और हम परमार्थ के लिए अवश्य आगे बढ़ेंगे व राम लला की तरह हर आस्था की प्रतिमूर्ति को एक समुचित स्थान अवश्य देंगे। मैं भी अपनी ओर से सभी डारगी गांव के सम्मानित नागरिकों को वधाई देता हूं तथा इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अन्य ग्रामवासियों को भी जागृत किया है। (सबका योगदान सराहनीय है।) उन्होंने यह मंत्र दिया – “कि केवल धनार्जन ही मानव का उद्देश्य नहीं है, मानव जीवन कुछ परोपकार के लिए भी है”। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी इस सद्बुद्धि को सदैव इसी प्रकार बनाए रखेंगे। बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं मंगलमय भविष्य के लिए प्रार्थना के साथ, शुभ जीवन।

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