हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी।
द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन हादसे में काल का ग्रास बने सतीश रावत का शव आज रविवार सायं को चंबा में घर पहुँचते ही कोहराम मच गया। सतीश के शव से लिपटकर माँ व अन्य स्वजन रो पड़े। वहीं, इस घटना को देखकर हर किसी की आंखो में आंसू आ गए। मृतक का अंतिम संस्कार कल सोमवार को कोटेश्वर स्थित पैतृक घाट पर किया जाएगा।
द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन हादसे में लापता चल रहे सतीश की रविवार सुबह मौत की खबर से पूरा क्षेत्र और परिवार गम में डूब गया। हिमस्खलन हादसे की सूचना मिलने के बाद से चंबा सहित आसपास के लोग सतीश के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि वह सलामत रहे। लेकिन विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था। बीते मंगलवार को हादसे के बाद जब परिवार को सतीश के लापता होने की सूचना मिली, तो परिजन अगले ही दिन उत्तरकाशी पहुंच गए। उन्हें एक चमत्कार की उम्मीद थी कि उनका बेटा सहित दल के अन्य सदस्य सकुशल लौट आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रविवार को हेलिकॉप्टर से मातली हैलीपैड लाए गए दस शवों की शिनाख्त हुई तो एक शव सतीश रावत का निकला। रविवार सायं को सतीश का शव नगर स्थित आवास पर पहुँचते ही माहौल गमगीन हो गया। सतीश की मां बेटे के शव से चिपककर रो पड़ी। वह बार बार बेसुध हो रही है। पिता, बहन और छोटे भाई के आंखों से भी आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
सतीश अपने पीछे मां, पिता, एक भाई-बहन को छोड़ गया। सतीश के पिता ने बताया कि सतीश एक मेहनती और प्रतिभावान था, जिसे पर्वतारोहण के क्क्षेत्र में कई नए आयाम छूने थे।
बताते चलेें कि सतीश रावत को बचपन से ही पर्वतारोहण का शौक था। स्नातक की पढ़ाई के बाद सतीश ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) से एडवेंचर में एडवांस कोर्स करने के लिए संस्थान में दाखिला लिया था। इन दिनों वह दल के साथ द्रौपदी के डांडा में गया हुआ था। सतीश इससे पहले भी द्रौपदी का डांडा में प्रशिक्षण ले चुका था। सतीश के पिता शूरवीर सिंह रावत की नगर में फर्निचर की दुकान है।
एक महीने बाद है बहन की शादी
सतीश की छोटी बहिन की शादी एक महीने बाद है। इसके लिए घर में शादी की तैयारियां खूब जोरों पर की जा रही हैं। सतीश भी अपनी बहन की शादी को लेकर व्यवस्थाओं में जुटा हुआ था। शादी में शामिल होने के लिए सतीश को छुट्टी लेकर घर आना था।