हिमशिखर खबर ब्यूरो
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। इस कारण इस पूर्णिमा को पीपल की पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। तो आइए जानते हैं क्यों शास्त्रों में वैशाख पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा इतनी फलदायी बताई गई है…
श्रीकृष्ण और पितरों को संतुष्ट करने का पर्व
पूर्णिमा पर पितरों के लिए की गई पूजा से पितृ तो संतुष्ट होते ही हैं साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है। इसलिए वैशाख महीने की पूर्णिमा पर पीपल पूजा करने का महत्व बताया गया है। श्रीमद भागवत में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी वजह से पीपल की पूजा करने पर श्रीकृष्ण खुश होते हैं और हमारे दुखों को दूर करते हैं। इसीलिए पीपल की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। इसे अश्वत्थ भी कहा जाता है।
पीपल पूजा की विधि
1. सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और उगते सूरज को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
2. ऐसे मंदिर जाएं, जहां पीपल हो। फिर पीपल की पूजा करें।
3. पीपल की जड़ में गाय का दूध, तिल और चंदन मिला हुआ पवित्र जल अर्पित करें।
4. जल चढ़ाने के बाद जनेऊ, फूल, प्रसाद और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।
5. धूप-दीप जलाएं और पीपल में पहले भगवान विष्णु फिर पितरों को प्रणाम करें।
स्कन्द पुराण: पीपल में भगवान विष्णु का निवास
स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु जी, तने में कृष्ण जी और फल व फलों में सभी देवताओं के निवास करत हैं। पीपल भगवान विष्णु का जीवंत स्वरूप माना गया है। वहीं श्रीमद भागवत गीता भगवान कृष्ण कहते हैं कि समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष सबसे श्रेष्ठ है क्योंकि यह साक्षात मेरा ही रूप है।
पीपल पूजा बढ़ती है सुख-समृद्धि
पीपल की पूजा करने से कई तरह के दोष दूर हो जाते हैं। इससे परेशानियां भी खत्म होती हैं। इस पेड़ में भगवान और पितृ दोनों का वास होने के कारण पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इससे महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है। धन लाभ के योग भी बनते हैं।