हिमशिखर खबर ब्यूरो
आज रविवार के दिन सप्तमी तिथि के संयोग पर ‘भानु सप्तमी’ पर्व मनाया जाता है। भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्यनारायण के लिए व्रत करते हुए उनकी उपासना से कई गुना पुण्य फल मिलता है। सूर्य को ऊर्जा का प्रतीक कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूरे मन से सूर्य की उपासना करें तो हर तरह के पाप और दुखों खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों में कहा गया है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से याददाश्त अच्छी होती है और मन में शांति रहती है।
तांबे के बर्तन से दें अर्ध्य
1. सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और पूरे मन से सूर्य भगवान की पूजा करें।
2. तांबे के बर्तन में साफ पानी भरें। उसमें लाल चंदन, अक्षत, लाल फूल डालकर सूर्य देव को ‘ॐ सूर्याय नमः’ कहते हुए अर्घ्य दें।
3. सूर्य को अर्घ्य देते हुए पानी को तांबे के बर्तन में इकट्ठा करें। अर्घ्य का जल जमीन पर न गिरने दें।
4. आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्य स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा न कर पाएं तो सूर्य के 12 नाम जप लें।
5. आखिरी में सूर्य देव से हाथ जोड़कर लंबी उम्र और निरोगी रहने की प्रार्थना करें। इस व्रत में पूरे दिन नमक न खाएं।
व्रत और पूजा के फायदे
सूर्य देव को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन जो भी भक्त सूर्य देव की पूजा अर्चना करते समय आदित्य ह्रदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ करेंगे और इसे सुनने वालों को भी शुभ फल मिलेगा। इस दिन सुबह उठकर जो भी भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भानु सप्तमी का व्रत रखता है उसे मनचाहा फल मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो भक्त भी इस दिन गंगा स्नान करके सूर्य भगवान को जल अर्पित करता है उसकी आयु लंबी होती है, उसकी काया निरोगी रहती है और उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती है। जो भक्त भी इस विशेष दिन दान-पुण्य करते हैं उनके घर में हमेशा धन-धान्य भरा रहता है।