पंडित उदय शंकर भट्ट
सुप्रभातम्,
आज आपका दिन मंगलमयी रहे, यही शुभकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज मंगलवार को भी प्रस्तुत कर रहा है आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं। अगर आप आज कोई नया कार्य आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलता पूर्वक संपन्न हो सकें। आज विनायक चतुर्थी है।
आज हम मंगलवार को हनुमान स्तुति से प्रार्थना करेंगे-
हनुमान स्तुति
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि
अर्थ : अतुल बलके धाम, सोने के पर्वत के (सुमेरु के) समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने हेतु अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, सम्पूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी को मैं प्रणाम करता हूं।
आज का पंचांग
मंगलवार, जनवरी 16, 2024
सूर्योदय: 07:15
सूर्यास्त: 17:47
तिथि: षष्ठी – 23:57 तक
नक्षत्र: उत्तर भाद्रपद – 04:38, जनवरी 17 तक
योग: परिघ – 20:01 तक
करण: कौलव – 13:03 तक
द्वितीय करण: तैतिल – 23:57 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: मंगलवार
अमान्त महीना: पौष
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: मीन
सूर्य राशि: मकर
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल
तिथि | षष्टी | 23:58 तक |
नक्षत्र | उत्तराभाद्रपद | 28:38 तक |
प्रथम करण | कौलव | 13:04 तक |
द्वितीय करण | तैतिल | 23:58 तक |
पक्ष | शुक्ल | |
वार | मंगलवार | |
योग | परिध | 20:00 तक |
सूर्योदय | 07:15 | |
सूर्यास्त | 17:46 | |
चंद्रमा | मीन | 00:37 तक |
राहुकाल | 15:08 − 16 :27 | |
विक्रमी संवत् | 2080 | |
शक संवत | 1944 | |
मास | पौष | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 12:10 − 12:51 |
आज का विचार
संघर्ष वो वृक्ष है जिसकी जडें कड़वी जरूर होती हैं मगर उसके फल बड़े ही मधुर होते हैं। जिस जीवन में आज जितनी मधुरता है उस जीवन में कभी उतना ही संघर्ष भी रहा होगा।
आज का भगवद् चिंतन
संघर्षशील बनें
जिस जीवन में संघर्ष नहीं होगा उस जीवन में सुख – समृद्धि एवं शांति रुपी मधुर फलों की प्राप्ति भी नहीं हो सकती।संघर्ष वो वृक्ष है जिसकी जडें कड़वी जरूर होती हैं मगर उसके फल बड़े ही मधुर होते हैं। जिस जीवन में आज जितनी मधुरता है उस जीवन में कभी उतना ही संघर्ष भी रहा होगा।
अक्सर हम लोग मधुर फल तो चाहते हैं लेकिन संघर्ष रूपी कड़वाहट का स्वाद नहीं लेना चाहते हैं। हम ये भूल जाते हैं कि जीवन की मधुरता की जड़ संघर्ष है। जो इस कड़वाहट से बचने की कोशिश करते हैं वो जीवन की मधुरता से भी वंचित रह जाते हैं ।
जिसके जीवन का संघर्ष जितना बड़ा होगा उसके जीवन में उतनी मिठास होगी। पहले संघर्ष और फिर मिठास यही तो जीवन का नियम है। भगवान श्री राम के संघर्षों ने उन्हें जन-जन का प्रिय प्रभु राम बना दिया तो योगेश्वर श्रीकृष्ण के संघर्षों ने उन्हें महानायक बना दिया।
गीता ज्ञान
यदि कर्म करते समय फल से मिलने वाले सुख का काल्पनिक महल न खड़ा किया जाए तो असफलता होने पर भी दु:ख नहीं होता। इसलिए भगवान् श्रीकृष्णने निष्काम कर्म को ‘योग’ कहा है। यही कर्म की कुशलता है। ममता ही दु:ख की जननी है, नि:स्वार्थ को शोक संताप नहीं हो सकता।
उस परमित और संकुचित स्वार्थ को त्याग दीजिए, जो संपूर्ण वस्तुओं को अपने लाभके लिए ही चाहता है। सच्चा स्वार्थ परमार्थ ही हो सकता है।
संसार के मिथ्या आकर्षण में भी मत फंसो। संसार के प्रति अधिक आसक्ति तथा लोभ तुम्हारे दु:ख का कारण है। स्वयं मनुष्यका जीवन ही अस्थिर है, मरणशील है। यहां संयोग है तो वियोग भी है। उन्नति है तो अवनति भी है। संग्रह है तो नाश भी है। जीवन है तो मरण भी है। जिस प्रकार फल पककर गिरता आवश्य उसी प्रकार जन्मवालेका मरण निश्चित है।
मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उसका यही कारण है कि मनुष्यमें ही श्रेय संसाधन भूत कर्म भक्ति, ज्ञानका अनुष्ठान करने की क्षमता है। मनुष्य जन्म पाकर भी इन साधनों का आचरण जो नहीं करता है, उसका जन्म व्यर्थ है। वैसे मनुष्य से तो दूसरे प्राणी ही श्रेष्ठ है।
यदि आप सफलता की ऊँचाई पर हैं तो धीरज अवश्य रखना, क्योंकि ये बात पक्षी भी जानते हैं, कि आसमान में बैठने की जगह नहीं होती। दिन और रात, सायंकाल और प्रातः काल, शिशिर और बसन्त पुनः – पुनः आते हैं; इसी प्रकार काल की लीला होती रहती है और आयु बीत जाती है, किन्तु आशा रूपी वायु छोड़ती ही नहीं; अतः हे मूढ! निरंतर गोविन्द को ही भज, क्योंकि मृत्यु के समीप आने पर अन्य कोई रक्षा नहीं कर सकेगा। संसार के सारे प्राणियों में।
पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो…