कालाष्टमी आज : 4 जनवरी, शुभ-अशुभ मुहूर्त का समय

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

हर रोज की तरह हम आज भी लाए हैं आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं।

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा का दिन रहता है। आज भगवान विष्णु को पीले पुष्पों से श्रृंगारित करके, पीतांबर पहनाकर, पीली मिठाई, पीले फलों का नैवेद्य लगाएं।

गुरुवार को देव गुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इनकी पूजा में पीले फूल, अक्षत्, हल्दी, गुड़, चने की दाल, पान का पत्ता, बेसन के लड्डू आदि का उपयोग किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते और पंचामृत अवश्य चढ़ाते हैं। इसके बिना श्रीहरि की पूजा अपूर्ण होती है. तुलसी श्रीहरि को प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में उसका विशेष स्थान है। गुरुवार के दिन विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, गुरुवार व्रत कथा आदि का पाठ करना चाहिए. पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।

बृहस्पतिवार के दिन गुरु और विष्णु जी की पूजा करने से कुंडली का गुरु दोष दूर होता है। गुरु दोष से मुक्ति के लिए पीले वस्त्र, केला, हल्दी, सोना, पीतल, विष्णु चालीसा, घी, पुस्तक, पीले फल आदि का दान करना चाहिए।

आज का पंचांग

सूर्योदय: 07:15
सूर्यास्त: 17:37
तिथि: अष्टमी – 22:04 तक
नक्षत्र: हस्त – 17:33 तक
योग: अतिगण्ड – 06:49, जनवरी 05 तक
करण: बालव – 08:59 तक
द्वितीय करण: कौलव – 22:04 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: गुरुवार
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: कन्या – 06:46, जनवरी 05 तक
सूर्य राशि: धनु
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल

तिथि अष्टमी 22:01 तक
नक्षत्र हस्त 17:24 तक
प्रथम करण
द्वितीय करण
बालव
कौलव
08:59 तक
22:01 तक
पक्ष कृष्ण
वार गुरुवार
योग अतिगंदा 30:45 तक
सूर्योदय 07:19
सूर्यास्त 17:34
चंद्रमा कन्या
राहुकाल 13:43 − 15:00
विक्रमी संवत् 2080
शक सम्वत 1944
मास पौष
शुभ मुहूर्त अभिजीत 12:06 − 12:47

मासिक कालाष्टमी व्रत आज

ईश्वर की आराधना के दुनिया में हजारों तरीके हैं। भैरव का नाम सुनते ही सबके मन में विकराल और भयाक्रांत कृति का निर्माण होता है, जबकि भैरव शिवजी के ही अवतार हैं। शिवजी के जितने भी अवतार हुए हैं उनमें पाँचवाँ अवतार भैरव को बताया गया है। देश में कालभैरव के दो प्रसिद्ध मंदिर बताए गए हैं। मंदिरों की प्राचीन नगरी उज्जैन में भैरव बाबा के कई मंदिर हैं।एक काशी स्थित कालभैरव, दूसरा उज्जैन में।

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस बार पौष माह की कालाष्टमी का व्रत आज 04 जनवरी को रखा जा रहा है। कालाष्टमी के दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा का विधान है। बाबा काल भैरव शिव जी के रौद्र माने जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और परेशानियां दूर हो जाती हैं। कालाष्टमी व्रत के दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव का आह्वान किया जाता है।

यह भी माना जाता है की भैरव जी के 108 नामों को जपने से कई समस्याएं दूर हो जाती है और इन नामों को पढ़ना चाहिए। लेकिन अगर आप इन नामों के आगे ‘ह्रीं’ बीजयुक्त 108 नामों का जाप करेंगे तो आपको इसका अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। आइए जानते हैं भैरव के 108 नाम…

1. ॐ ह्रीं भैरवाय नम:
2. ॐ ह्रीं भूतनाथाय नम:
3. ॐ ह्रीं भूतात्मने नम:
4. ॐ ह्रीं भूतभावनाय नम:
5. ॐ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम:
6. ॐ ह्रीं क्षेत्रपालाय नम:
7. ॐ ह्रीं क्षेत्रदाय नम:
8. ॐ ह्रीं क्षत्रियाय नम:
9. ॐ ह्रीं विराजे नम:
10. ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम:
11. ॐ ह्रीं मांसाशिने नम:
12. ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम:
13. ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम:
14. ॐ ह्रीं रक्तपाय नम:
15. ॐ ह्रीं पानपाय नम:
16. ॐ ह्रीं सिद्धाय नम:
17. ॐ ह्रीं सिद्धिदाय नम:
18. ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम:
19. ॐ ह्रीं कंकालाय नम:
20. ॐ ह्रीं कालशमनाय नम:
21. ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:
22. ॐ ह्रीं कवये नम:
23. ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम:
24. ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम:
25. ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम:
26. ॐ ह्रीं शूलपाणाये नम:
27. ॐ ह्रीं खड्गपाणाये नम:
28. ॐ ह्रीं धूम्रलोचनाय नम:
29. ॐ ह्रीं अभीरवे नम:
30. ॐ ह्रीं भैरवीनाथाय नम:
31. ॐ ह्रीं भूतपाय नम:
32. ॐ ह्रीं योगिनीपतये नम:
33. ॐ ह्रीं धनदाय नम:
34. ॐ ह्रीं अधनहारिणे नम:
35. ॐ ह्रीं धनवते नम:
36. ॐ ह्रीं प्रतिभागवते नम:
37. ॐ ह्रीं नागहाराय नम:
38. ॐ ह्रीं नागकेशाय नम:
39. ॐ ह्रीं व्योमकेशाय नम:
40. ॐ ह्रीं कपालभृते नम:
41. ॐ ह्रीं कालाय नम:
42. ॐ ह्रीं कपालमालिने नम:
43. ॐ ह्रीं कमनीयाय नम:
44. ॐ ह्रीं कलानिधये नम:
45. ॐ ह्रीं त्रिलोचननाय नम:
46. ॐ ह्रीं ज्वलन्नेत्राय नम:
47. ॐ ह्रीं त्रिशिखिने नम:
48. ॐ ह्रीं त्रिलोकभृते नम:
49. ॐ ह्रीं त्रिवृत्त-तनयाय नम:
50. ॐ ह्रीं डिम्भाय नम:
51. ॐ ह्रीं शांताय नम:
52. ॐ ह्रीं शांत-जन-प्रियाय नम:
53. ॐ ह्रीं बटुकाय नम:
54. ॐ ह्रीं बटुवेषाय नम:
55. ॐ ह्रीं खट्वांग-वर-धारकाय नम:
56. ॐ ह्रीं भूताध्यक्ष नम:
57. ॐ ह्रीं पशुपतये नम:
58. ॐ ह्रीं भिक्षुकाय नम:
59. ॐ ह्रीं परिचारकाय नम:
60. ॐ ह्रीं धूर्ताय नम:
61. ॐ ह्रीं दिगंबराय नम:
62. ॐ ह्रीं शौरये नम:
63. ॐ ह्रीं हरिणाय नम:
64. ॐ ह्रीं पाण्डुलोचनाय नम:
65. ॐ ह्रीं प्रशांताय नम:
66. ॐ ह्रीं शां‍तिदाय नम:
67. ॐ ह्रीं शुद्धाय नम:
68. ॐ ह्रीं शंकरप्रिय बांधवाय नम:
69. ॐ ह्रीं अष्टमूर्तये नम:
70. ॐ ह्रीं निधिशाय नम:
71. ॐ ह्रीं ज्ञानचक्षुषे नम:
72. ॐ ह्रीं तपोमयाय नम:
73. ॐ ह्रीं अष्टाधाराय नम:
74. ॐ ह्रीं षडाधाराय नम:
75. ॐ ह्रीं सर्पयुक्ताय नम:
76. ॐ ह्रीं शिखिसखाय नम:
77. ॐ ह्रीं भूधराय नम:
78. ॐ ह्रीं भूधराधीशाय नम:
79. ॐ ह्रीं भूपतये नम:
80. ॐ ह्रीं भूधरात्मजाय नम:
81. ॐ ह्रीं कपालधारिणे नम:
82. ॐ ह्रीं मुण्डिने नम:
83. ॐ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते नम:
84. ॐ ह्रीं जृम्भणाय नम:
85. ॐ ह्रीं मोहनाय नम:
86. ॐ ह्रीं स्तम्भिने नम:
87. ॐ ह्रीं मारणाय नम:
88. ॐ ह्रीं क्षोभणाय नम:
89. ॐ ह्रीं शुद्ध-नीलांजन-प्रख्य-देहाय नम:
90. ॐ ह्रीं मुंडविभूषणाय नम:
91. ॐ ह्रीं बलिभुजे नम:
92. ॐ ह्रीं बलिभुंगनाथाय नम:
93. ॐ ह्रीं बालाय नम:
94. ॐ ह्रीं बालपराक्रमाय नम:
95. ॐ ह्रीं सर्वापत्-तारणाय नम:
96. ॐ ह्रीं दुर्गाय नम:
97. ॐ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम:
98. ॐ ह्रीं कामिने नम:
99. ॐ ह्रीं कला-निधये नम:
100. ॐ ह्रीं कांताय नम:
101. ॐ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम:
102. ॐ ह्रीं जगद्-रक्षा-कराय नम:
103. ॐ ह्रीं अनंताय नम:
104. ॐ ह्रीं माया-मन्त्रौषधी-मयाय नम:
105. ॐ ह्रीं सर्वसिद्धि प्रदाय नम:
106. ॐ ह्रीं वैद्याय नम:
107. ॐ ह्रीं प्रभविष्णवे नम:
108. ॐ ह्रीं विष्णवे नम:।

पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो… 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *