पंडित उदय शंकर भट्ट
हर रोज की तरह हम आज भी लाए हैं आपके लिए पंचांग, जिसको देखकर आप बड़ी ही आसानी से पूरे दिन की प्लानिंग कर सकते हैं।
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा का दिन रहता है। आज भगवान विष्णु को पीले पुष्पों से श्रृंगारित करके, पीतांबर पहनाकर, पीली मिठाई, पीले फलों का नैवेद्य लगाएं।
गुरुवार को देव गुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इनकी पूजा में पीले फूल, अक्षत्, हल्दी, गुड़, चने की दाल, पान का पत्ता, बेसन के लड्डू आदि का उपयोग किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते और पंचामृत अवश्य चढ़ाते हैं। इसके बिना श्रीहरि की पूजा अपूर्ण होती है. तुलसी श्रीहरि को प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में उसका विशेष स्थान है। गुरुवार के दिन विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, गुरुवार व्रत कथा आदि का पाठ करना चाहिए. पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
बृहस्पतिवार के दिन गुरु और विष्णु जी की पूजा करने से कुंडली का गुरु दोष दूर होता है। गुरु दोष से मुक्ति के लिए पीले वस्त्र, केला, हल्दी, सोना, पीतल, विष्णु चालीसा, घी, पुस्तक, पीले फल आदि का दान करना चाहिए।
आज का पंचांग
सूर्योदय: 07:15
सूर्यास्त: 17:37
तिथि: अष्टमी – 22:04 तक
नक्षत्र: हस्त – 17:33 तक
योग: अतिगण्ड – 06:49, जनवरी 05 तक
करण: बालव – 08:59 तक
द्वितीय करण: कौलव – 22:04 तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: गुरुवार
पूर्णिमान्त महीना: पौष
चन्द्र राशि: कन्या – 06:46, जनवरी 05 तक
सूर्य राशि: धनु
शक सम्वत: 1945 शोभकृत्
विक्रम सम्वत: 2080 नल
तिथि | अष्टमी | 22:01 तक |
नक्षत्र | हस्त | 17:24 तक |
प्रथम करण द्वितीय करण |
बालव कौलव |
08:59 तक 22:01 तक |
पक्ष | कृष्ण | |
वार | गुरुवार | |
योग | अतिगंदा | 30:45 तक |
सूर्योदय | 07:19 | |
सूर्यास्त | 17:34 | |
चंद्रमा | कन्या | |
राहुकाल | 13:43 − 15:00 | |
विक्रमी संवत् | 2080 | |
शक सम्वत | 1944 | |
मास | पौष | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 12:06 − 12:47 |
मासिक कालाष्टमी व्रत आज
ईश्वर की आराधना के दुनिया में हजारों तरीके हैं। भैरव का नाम सुनते ही सबके मन में विकराल और भयाक्रांत कृति का निर्माण होता है, जबकि भैरव शिवजी के ही अवतार हैं। शिवजी के जितने भी अवतार हुए हैं उनमें पाँचवाँ अवतार भैरव को बताया गया है। देश में कालभैरव के दो प्रसिद्ध मंदिर बताए गए हैं। मंदिरों की प्राचीन नगरी उज्जैन में भैरव बाबा के कई मंदिर हैं।एक काशी स्थित कालभैरव, दूसरा उज्जैन में।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस बार पौष माह की कालाष्टमी का व्रत आज 04 जनवरी को रखा जा रहा है। कालाष्टमी के दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा का विधान है। बाबा काल भैरव शिव जी के रौद्र माने जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और परेशानियां दूर हो जाती हैं। कालाष्टमी व्रत के दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव का आह्वान किया जाता है।
यह भी माना जाता है की भैरव जी के 108 नामों को जपने से कई समस्याएं दूर हो जाती है और इन नामों को पढ़ना चाहिए। लेकिन अगर आप इन नामों के आगे ‘ह्रीं’ बीजयुक्त 108 नामों का जाप करेंगे तो आपको इसका अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। आइए जानते हैं भैरव के 108 नाम…
पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो…