आज का पंचांग: सुपथगामी बनें

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

धर्म से जुड़े हुए लोग आजकल ये दावा करते हुए मिलते हैं कि मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। श्रद्धा-भक्ति के माहौल में उछाल आ गया है। लेकिन उसी समय क्या ये फिक्र की बात नहीं है कि लोग जमकर नशा कर रहे हैं? कोविड के बाद ये आदत और पसर गई है।

पिछले कई साल में नशा करने वालों की संख्या बढ़ गई है। ये उस देश की बात है, जिस देश में मंदिरों का भी विस्तार पिछले कई सालों में जमकर हुआ। आदमी नशा तब करता है, जब वह कुसंग में होता है, तनाव में रहता है या अतिरिक्त मौज-मस्ती के मूड में आ जाता है।

 नशा मनुष्य करता ही इसलिए है कि उसके दौड़ते हुए विचार रुक जाएं, लेकिन नशे में विचार रुकते नहीं, बिखर जाते हैं, जिसको वो रुका हुआ समझते हैं। इसी में उनको मजा आता है, जबकि विचार रुकने पर शांति मिलती है। और वो रुकेंगे योग के अभ्यास से, नशे से तो भ्रम पैदा होता है।

आज का पंचांग

सूर्योदय: 06:21
सूर्यास्त: 17:53
तिथि: दशमी – 09:08 तक
नक्षत्र: धनिष्ठा – 26:51+ तक
योग: शूल – 21:26 तक
करण: गर – 09:08 तक
द्वितीय करण: वणिज – 19:59 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: रविवार
अमान्त महीना: आश्विन
पूर्णिमान्त महीना: आश्विन
चन्द्र राशि: मकर – 15:44 तक
सूर्य राशि: कन्या

आज का विचार

जो लोग अपने लिए नियम नहीं बनाते, उन्हें फिर दूसरों के बनाये हुए नियमों पर चलना पड़ता है। मंजिल तक पहुँचने के लिए रास्ता मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु एक अनुशासन, समर्पण, प्रतिवद्धता और एक बहुत बड़े जूनून की भी आवश्यकता होती है।

आज का भगवद् चिन्तन

सुपथगामी बनें

जीवन में सुख की चाह तो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर है पर वह प्रयास सदैव विपरीत दिशा में करता है। यदि आप सच में सुखी होना चाहते हैं तो फिर उन रास्तों का भी त्याग करें जिनसे जीवन में दुःख आता है। आपकी सुख की चाह तो ठीक है पर राह ठीक नहीं हैं। सुख के लिए केवल निरंतर प्रयास ही पर्याप्त नहीं है अपितु उचित दिशा में प्रयास हो, यह भी आवश्यक है। दुःख भगवान के द्वारा दिया गया कोई दंड नहीं है, यह तो असत्य का संग देने का फल है।

आज का आदमी बड़ी दुविधा में जीवन जी रहा है। वह कभी तो राम का संग कर लेता है पर अवसर मिलते ही रावण का संग करने से भी नहीं चूकता है।राम अर्थात् सद्गुण, सदाचार एवं रावण अर्थात् दुर्गुण, दुराचार। जैसा चुनाव करोगे वैसा ही परिणाम प्राप्त होगा। सत्य पीड़ा देगा मगर पराजय नहीं। असत्य के मार्ग का परित्याग करके राममय जीवन जियो बस यही सीख ही मानव जीवन में सुख-शांति व मंगल की मूल है।

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