पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज सावन की 22 गते है।
आज बुधवार, 7 अगस्त को सावन शुक्ल तीज है। इस दिन हरियाली तीज का व्रत किया जाता है। तृतीया तिथि की स्वामी देवी मानी गई हैं। इस वजह से तीज पर देवी पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने की परंपरा है। तीज पर देवी पार्वती को सुहाग का सामान जैसे लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, लाल फूल, कुमकुम, बिंदिया, सिंदूर आदि चीजें चढ़ानी चाहिए।
हरियाली तीज पर देवी पार्वती की पूजा करें और पूजा में मौसमी फलों का खासतौर पर भोग लगाएं। पौराणिक कथा है कि माता पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए सावन महीने से ही कठोर तपस्या शुरू की थी। देवी के तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे और हरियाली तीज तिथि पर ही देवी को मनचाहा वर दिया था। इसी तिथि पर शिव जी ने देवी को पत्नी रूप में अपनाने का वरदान दिया था। मान्यता है कि जो महिलाएं हरियाली तीज व्रत पूरे विधि-विधान से करती हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।
ऐसे मना सकते हैं हरियाली तीज
सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए ये एक महाव्रत की तरह है। कन्याएं मनचाहा वर पाने की कामना से ये व्रत करती हैं। इस दिन सोलह श्रृंगार करके भगवान गणेश, शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा करनी चाहिए।
आज का विचार
इंसान अपना वो चेहरा तो खूब सजाता है जिस पर लोगों की नज़र होती है। मगर आत्मा को सजाने की कोशिश कोई नही करता जिस पर परमात्मा की नजर होती है।
कहेहू तें कछु दुख घटि होई। काहि कहौं यह जान न कोई॥
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥
भावार्थ:-मन का दुःख कह डालने से भी कुछ घट जाता है। पर कहूँ किससे? यह दुःख कोई जानता नहीं। हे प्रिये! मेरे और तेरे प्रेम का तत्त्व (रहस्य) एक मेरा मन ही जानता है॥
सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं। जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं॥
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही। मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही॥
भावार्थ:-और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है। बस, मेरे प्रेम का सार इतने में ही समझ ले। प्रभु का संदेश सुनते ही जानकीजी प्रेम में मग्न हो गईं। उन्हें शरीर की सुध न रही॥
आज का भगवद् चिन्तन
शिवाश्रय महिमा
भगवान शिव स्वयं तो पूज्य हैं ही लेकिन उन्होंने प्रत्येक उस प्राणी को भी पूज्य बना दिया जो उनकी शरण में आ गया। शिव आश्रय ले लेने पर वक्र चन्द्र अर्थात वो चन्द्रमा जिसमें अनेक विकृतियां,अनेक दोष हैं पर वो भी वन्दनीय बन गए। जिसे मनुष्यों का जन्मजात शत्रु माना जाता है,वही सर्प जब भगवान शिव की शरण लेकर उनके गले का हार बन जाता है तो फिर पूज्यनीय भी बन जाता है।
यह भगवान महादेव के संग का ही प्रभाव है कि शिवजी के साथ-साथ नाग देव के रूप में सर्प को भी सारा जगत पूजता है।भगवान महादेव अपने आश्रित को केवल पुजारी बनाकर ही नहीं रखते अपितु पूज्य भी बना देते हैं। हमें भी यथा संभव दूसरों का सम्मान एवं सहयोग करना चाहिए। जीवन इस प्रकार का हो कि आपसे मिलने के बाद सामने वाले का हृदय उत्साह, प्रसन्नता और आनंद से परिपूर्ण हो जाये।
आज का पंचांग
बुधवार, अगस्त 7, 2024
सूर्योदय: 05:46 ए एम
सूर्यास्त: 07:07 पी एम
तिथि: तृतीया – 10:05 पी एम तक
नक्षत्र: पूर्वाफाल्गुनी – 08:30 पी एम तक
योग: परिघ – 11:42 ए एम तक
करण: तैतिल – 08:56 ए एम तक
द्वितीय करण: गर – 10:05 पी एम तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: बुधवार
अमान्त महीना: श्रावण
पूर्णिमान्त महीना: श्रावण
चन्द्र राशि: सिंह – 03:15 ए एम, अगस्त 08 तक
सूर्य राशि: कर्क