पंडित उदय शंकर भट्ट
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन भगवान श्री विष्णु के वामन स्वरुप का पूजन किया जाता है। वामन रुप भगवान श्री विष्णु का पांचवां अवतार माना जाता है। इस शुभ दिन पर, भगवान विष्णु वामन अवतार के रूप में प्रकट हुए और सृष्टि को अपने तीन पगों से नाप डाला। वामन जयंती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है।
वामन जयंती पूजा मुहूर्त
इस साल वामन जयंती 7 सितंबर, 2022 को मनाई जाएगी. हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति की संतान के रुप में जन्म लिया। भगवान का यह छोटा अवतार वामन कहलाया. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान वामन की पूजा करता है, तो व्यक्ति कष्टों और पापों से मुक्त हो सकता है।
ये है वामन देव की संक्षिप्त कथा
- सतयुग में भक्त प्रहलाद के पौत्र हुए थे दैत्यराज बलि। राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो सभी देवताओं भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे।
- भगवान विष्णु ने कहा, मैं स्वयं देवमाता अदिति के यहां जन्म लूंगा और सभी देवताओं के दुख दूर करूंगा। इसके बाद विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया।
- राजा बलि नर्मदा नदी के किनारे अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे। भगवान वामन उस यज्ञ में पहुंच गए। बाल ब्रह्मचारी वामन को देखकर राजा बलि ने उनका स्वागत किया और दान मांगने के लिए कहा।
- वामन भगवान ने कहा, मुझे सिर्फ तीन पग भूमि चाहिए। राजा बलि ने सोचा कि मैं तो तीनों लोकों का स्वामी हूं, तीन पग भूमि तो आसानी से दे सकता हूं।
- दैत्य गुरु शुक्राचार्य उसे मन कर रहे थे, लेकिन राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया।
- भगवान वामन ने अपने एक पग से पृथ्वी, दूसरे से आकाश नाप लिया। तब राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख सकते हैं। जैसे ही वामन देव ने तीसरा पग बलि के सिर पर रखा, वह पाताल में चला गया।
- भगवान वामन उसकी दानवीरता से प्रसन्न हुए और उसे पाताल का स्वामी बना दिया।