विश्व हिंदी रचनाकार मंच ने किया काव्य महोत्सव का आयोजन, कवि सोमवारी लाल सकलानी किए गए सम्मानित

हिमशिखर ब्यूरो।

Uttarakhand

नैनीताल।

विश्व हिंदी रचनाकार मंच की ओर से काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें देश भर से कवि और कवित्रियों ने शिरकत की।

महाकवि नीरज (गोपालदास नीरज) काव्य महोत्सव 2021 के तत्वावधान में आज हल्द्वानी में वरिष्ठ कवि, साहित्यकार और सेवा निवृत्त शिक्षक सोमवारी लाल सकलानी, निशांत को “उत्तराखंड हिंदी काव्य रत्न सम्मान-2021” से सम्मानित किया गया।

    “अरुणोदय” सभागार हल्द्वानी में इस काव्य महोत्सव का आयोजन हुआ। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड चालीस कवि और कवित्रियां इस अवसर पर उपस्थित हुए। उत्तर भारत के अनेकों कवि और कवित्रीयों को इस अवसर पर महिला रत्न सम्मान, नीरज स्मृति सम्मान आदि से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन “विश्व हिंदी रचनाकार मंच” की ओर से किया गया तथा कोरोना के कारणस्वरूप इन वर्षों मे कार्यक्रम न होने के कारण 2019 तथा 2020 में उत्तराखंड काव्य श्री सम्मान प्राप्त करने वाले रचनाकारों को भी सम्मानित किया गया।

    कार्यक्रमों में विश्व हिंदी रचनाकार मंच के संस्थापक अध्यक्ष श्री राघवेंद्र ठाकुर,कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर पुष्पलता जोशी, पुष्पांजलि तथा उनके सहयोगियों के द्वारा सुसंगत समारोह संपन्न करवाया। दिन भर चले इस भव्य कार्यक्रम में कवियों के द्वारा अपनी रचनाएं प्रस्तुत की गई तथा काव्य लेखन और साहित्य की समीक्षा की गई।

विश्व हिंदी रचनाकार मंच के संस्थापक/ अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि कवियों की रचनाओं का प्रकाशन होना चाहिए। उन्हें मंच उपलब्ध कराया जाना चाहिए तथा उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से डॉ राधा बाल्मीकि, राजस्थान (बीकानेर) से डॉक्टर संजू श्रीमाली, उ.प्र. से डॉक्टर शिव कुमार चंदन,डॉ. शशि जोशी, डॉ मंजुलता, डॉ मंजुला पांडे, श्रीमती आशा शुक्ला, श्री रोहित केसरवानी आदि ने भी मंच को सुशोभित किया।

प्रत्येक कवि और कवित्रीयों को अपनी एक-एक कविताएं प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया जो की बहुत ही आकर्षण का विषय रहा। सभी ने समसामयिक मुद्दों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कुमाऊं विश्वविद्यालय के अनेक कालेजों से लब्ध -प्रतिष्ठित प्रोफेसर, कवि और कवित्रियां इस अवसर पर उपस्थित थी और उन्होंने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत की। साहित्यिक समन्वय का ऐसा अनूठा प्रयास बहुत ही कम दिखाई देने को मिलता है। दूरदराज के क्षेत्र के कवि और कवित्रियों को एक मंच पर मिलकर उनकी रचनाओं को सुनने और सुनाने का जब अवसर प्रदान हुआ तो अत्यंत प्रसन्नता के साथ- साथ भाषा और साहित्य के विकास में यह बातें मील का पत्थर साबित होती हैं।कालांतर में आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत के रूप में बहुत कुछ छोड़ जाती है। इस काव्य महोत्सव में विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा प्रकाशित अनेक पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।

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