क्यों होता है नर्मदा नदी का हर कंकर शंकर, जानिए कारण

क्या कभी आपने सुना है नदी के किसी पत्थर को भगवान के तुल्य माना जाए? इस प्रश्न का जवाब केवल एक नदी, नर्मदा नदी में ही मिल सकता है। कहते हैं कि यहां पर हजारों लोग रोज नदी के किनारे पत्थर तलाशने पहुंचते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इन पत्थरों को भगवान शिव की उपाधि प्राप्त है। पुराणों में बताया गया है कि इस नदी के पत्थरों में शिवलिंग स्वयं प्राण प्रतिष्ठित रहते हैं यानि उनमें भगवान शिव का अंश माना जाता है। कहते हैं कि इसे नियमित रूप से स्नान कराने और पूजन से घर के सभी दोष दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इससे ग्रह बाधाएं भी दूर होती हैं।

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पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत सालों तक तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था। इसके बाद उन्होंने नर्मदा नदी को वर मांगने को कहा था। कहते हैं कि उस समय नर्मदा नदी ने ब्रह्मा जी से गंगा के समान होने का वर मांगा था। लेकिन ब्रह्मा जी ने उन्हें कहा कि, ‘अगर कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी माता पार्वती की समानता कर ले को कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है’।

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