मन की बात का 91वां एपिसोड:हर घर तिरंगा के साथ ही हर इंटरनेट मीडिया प्रोफाइल पर भी राष्ट्रीय ध्वज, जानिए क्या कहा PM मोदी ने

नई दिल्ली
मन की बात के 91वें एपिसोड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास बताया है, क्योंकि भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। इसके साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव अभियान में जुड़ रहे ज्यादा से ज्यादा लोगों पर खुशी जताई है।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम में देशवासियों से ऐसे रेलवे स्टेशनों के बारे में जानने को कहा है, जो स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं। उन्होंने अपील की है कि 13 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक देशभर के लोग अपने घरों में तिरंगा जरूर फहराएं और सोशल मीडिया प्रोफाइल में भी तिरंगा लगाने की बात कही है।
PM मोदी ने आजादी के महत्व को समझाते हुए कहा कि हम सभी अद्भुत और ऐतिहासिक पल के गवाह बनने जा रहे हैं। ईश्वर ने हमें बड़ा सौभाग्य दिया है। अगर हम गुलामी के दौर में पैदा हुए होते, तो, इस दिन की कल्पना हमारे लिए कैसी होती? गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आजादी की वो बेचैनी – कितनी बड़ी रही होगी। PM ने कहा कि जब हम, हर सुबह इस सपने के साथ जग रहे होते, कि मेरा हिंदुस्तान कब आज़ाद होगा और हो सकता है हमारे जीवन में वो भी दिन आता जब वंदेमातरम और भारत माँ की जय बोलते हुए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए, अपना जीवन समर्पित कर देते, जवानी खपा देते।
PM मोदी ने लोगों से स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े रेलवे स्टेशनों की भूमिका के बारे में जानने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसी जुलाई में एक बहुत ही रोचक प्रयास हुआ है जिसका नाम है – आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन। इस प्रयास का लक्ष्य है कि लोग आज़ादी की लड़ाई में भारतीय रेल की भूमिका को जानें। देश में अनेक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जो, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं। आप भी, इन रेलवे स्टेशनों के बारे में जानकार हैरान होंगे। झारखंड के गोमो जंक्शन को, अब आधिकारिक रूप से, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है। जानते है क्यों? दरअसल इसी स्टेशन पर, कालका मेल में सवार होकर नेताजी सुभाष, ब्रिटिश अफसरों को चकमा देने में सफल रहे थे। आप सभी ने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम भी जरुर सुना होगा। इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबांजों का नाम जुड़ा है। यहाँ ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताक़त का परिचय करा दिया था।
    पीएम ने कहा, देशभर के 24 राज्यों में फैले ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। इन 75 स्टेशनों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जा रहा है। इनमें कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है। आपको भी समय निकालकर अपने पास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन पर जरुर जाना चाहिए। आपको, स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे इतिहास के बारे में विस्तार से पता चलेगा जिनसे आप अनजान रहे हैं। पीएम ने कहा कि मैं आसपास के स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह करूँगा, टीचर्स से आग्रह करूँगा कि अपने स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को ले करके जरुर स्टेशन पर जाएँ और पूरा घटनाक्रम उन बच्चों को सुनाएँ, समझाएँ।
पीएम ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक अपने घर पर तिरंगा जरुर फहराएं या अपने घर पर लगाएं।पीएम ने कहा कि तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। पीएम मोदी ने कहा, मेरा एक सुझाव ये भी है, कि 2 अगस्त से 15 अगस्त तक, हम सभी, अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगा सकते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि 2 अगस्त का हमारे तिरंगे से विशेष संबंध भी है। इसी दिन पिंगली वेंकैया जी की जन्म-जयंती होती है। पिंगली वेंकैया जीन ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया था। पीएम ने कहा कि अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बात करते हुए, मैं महान क्रांतिकारी मैडम कामा को भी याद करूंगा। तिरंगे को आकार देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

पीएम मोदी ने कहा कि  मुझे हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता, आशीष बहल जी का एक पत्र मिला है। उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है। दरअसल, मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं। जब मक्के में मिंजर आते हैं, तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है और इस मेले में, देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं। संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है। आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं। चंबा तो इतना ख़ूबसूरत है, कि यहाँ के लोक-गीतों में बार-बार कहा जाता है –

Uttarakhand

      “चंबे इक दिन ओणा कने महीना रैणा”।

यानि, जो लोग एक दिन के लिए चंबा आते हैं, वे इसकी खूबसूरती देखकर महीने भर यहां रह जाते हैं।

कहा कि, हमारे देश में मेलों का भी बड़ा सांस्कृतिक महत्व रहा है। मेले, जन-मन दोनों को जोड़ते हैं। हिमाचल में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब, सितम्बर में, शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी या सैर भी मनाया जाता है। सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है। जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वाहन करके बीसू गीत गाए जाते हैं। महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है।

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