शनिवार और अमावस्या का योग आज: जरूरतमंद लोगों को दान करें, शनिदेव को चढ़ाएं तेल और नीले फूल

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

आज 27 अगस्त को भाद्रपद मास की अमावस्या है। शनिवार को ये अमावस्या होने से इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है।

शनिश्चरी अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को दान जरूर करें। दान में पैसों के अलावा अनाज जैसे गेहूं, चावल, मक्का, दालें आदि दी जा सकती हैं। जरूरतमंद लोगों को कपड़ों का और जूते-चप्पल का दान भी कर सकते हैं। किसी मंदिर में पूजन सामग्री दान करें।

स्कंद पुराण में बताया गया है कि अमावस्या पर चंद्र की सोलहवीं कला अमा सक्रिय (एक्टिव) रहती है। अमा नाम की को चंद्र की महाकला कहते हैं, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं के बराबर शक्तियां होती हैं।

पितरों के लिए कर सकते हैं धूप-ध्यान

शनिवार की दोपहर तक पितरों के लिए धूप-ध्यान शुभ कर्म किए जा सकते हैं। पितरों के लिए काले तिल का दान करें।

शिव जी का अभिषेक जरूर करें

कूर्म पुराण में बताया गया है कि अमावस्या तिथि पर शिव जी का विशेष अभिषेक जरूर करना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, पंचामृत से अभिषेक करें, इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं। चंदन से त्रिपुंड्र बनाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि शुभ चीजें शिवलिंग पर चढ़ाएं।

शनिश्चरी अमावस्या पर ऐसे करें शनि पूजा

शनि पूजा में के शनिदेव के दस नाम वाले मंत्र का जप करना चाहिए। ये मंत्र है – कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:। सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

आप चाहें तो शनि के दस नामों का जप भी कर सकते हैं – कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाद।

शनि देव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि देव को नीले फूल चढ़ाएं। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से यहां बताए गए मंत्र का जप करें। मंत्र जप की संख्या अपनी इच्छा और समय के अनुसार तय कर सकते हैं।

शनि देव काले तिल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को तेल का दान जरूर करें।

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