अमेरिका की डाक्टर ने हिंदू रीति रिवाज से चंबा के विकास संग लिए सात फेरे, देखिये वीडियो

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई टिहरी: भारतीय संस्कृति और परंपरा की अमिट छाप सात समुंदर पार के विदेशियों को हमेशा अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। भारतीय संस्कृति और परंपरा अमेरिकी डाक्टर को ऐसी पसंद आई कि सात समंदर पार कर भारत आकर अपने इंडियन दोस्त के साथ शादी की। दरअसल, अमेरिका में डाक्टर फ्रेंचस्का का चंबा के आराकोट गाँव निवासी विकास रावत के साथ दोस्ती थी। ऐसे में दोनों गाँव आकर हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार शादी के बंधन में बंध गए।

चंबा के निकट आराकोट गाँव के निवासी अलेल सिंह रावत के पुत्र विकास रावत ने अमेरिकी डाक्टर फ्रेन्चस्का के साथ सनातन परंपरा के मुताबिक विवाह रचाया। फ्रेंचस्का के साथ उसके भाई बहन और अन्य परिजन भी शादी में शामिल होने आए थे।

ग्राम आराकोट निवासी दूल्हे के पिता अलेल सिंह रावत ने बताया कि उनका बेटा विकास पिछले छह साल से अमेरिका में एक होटल में नौकरी करता है। इस दौरान पांच साल पहले कनाडा से मेडिकल की पढ़ाई करने अमेरिका गई फ्रेंचस्का से उसकी मुलाकात हुई। इस बीच कोर्स पूरा करने के बाद फ्रेंचस्का को जॉब मिल गई। अलेल सिंह ने बताया कि बेटे ने अमेरिकी डॉक्टर से शादी करने की इच्छा जताई तो दोनों के परिवार वालों ने हामी भर दी। फ्रेंचस्का को भारतीय सभ्यता और संस्कृति इतनी पसंद थी कि उसने भारत आकर यहां आराकोट में भारतीय सनातन परंपरा के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शादी रचाई। फ्रेंचस्का अपने भाई-बहन और दोस्तों के साथ 14 नवंबर को आराकोट गांव पहुंची थीं। शादी के कार्ड छपवाने के बाद दोनों 16 नवंबर को विवाह के बंधन में बंध गए। विवाह संपन्न होने के बाद नवदंपती व विदेशी मेहमान अमेरिका लौट गए।

One thought on “अमेरिका की डाक्टर ने हिंदू रीति रिवाज से चंबा के विकास संग लिए सात फेरे, देखिये वीडियो

  1. KP SAKLANI, President senior citizens welfare organisation "Uttrakhand " Rgd. says:

    -: जीवन रक्षक परामर्श :- भारत देश की हिन्दू बेटियो को कम से कम इस डाक्टर विदेशी बहू से हिन्दू व हिन्दू संस्कृति की पहचान एवम् महत्ता की शिक्षा सीख लेनी चाहिए कि जिसने हिन्दू उत्तराखंडी (भारतीय) युवक को अपना जीवन साथी चुनकर उसके टिहरी के एक खुशकिस्मत गांव मे आकर शादी की है । मै अपने सभी हिन्दू बेटियो से पुरजोर अनुरोध करना चाहूंगा कि वह अपनी- अपनी शादी की जिम्मेदारी परम्परानुसार अपने माता- पिता, रिश्तेदारो पर ही छोड़कर रखे और अपने ही धर्म और संस्कृति वालो के मध्य ही अपना जीवन साथी चुनने की सफल सोच बनाये रखे, अन्यथा श्रद्धा की तरह 35 क्या ज्यादा- कम टुकड़ो मे विभक्त होने की उदाहरण स्वरूप खबरो का स्मरण भी रख ले 🙏🤔 :- के.पी. सकलानी, सामाजिक कार्यकर्ता एवम अध्यक्ष वरिष्ठ नागरिक कल्याण संस्था उत्तराखंड (इसे शेयर करना पाठको की जागृत इच्छा पर निर्भर करता है)

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