Adipurush: ‘आदिपुरुष’ पर भड़के डीएस कसाना, फिल्म के मेकर्स को लेकर कह दी यह बड़ी बात

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई दिल्ली: ओम राउत के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ रिलीज के बाद से ही लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही है। अब तक कई सितारे इस फिल्म पर सवाल उठा चुके हैं। अब इस लिस्ट में गौ शक्ति पीठ के अध्यक्ष डीएस कसाना का नाम भी जुड़ गया है। हाल ही में उन्होंने भगवान श्रीराम हनुमान के किरदार को गलत तरीके से पेश करने को लेकर फिल्म के मेकर्स की जमकर क्लास लगा दी। उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र भेजकर हिंदी सिनेमा उद्योग द्वारा भगवान् श्री राम और हनुमान जी के अपमान पर समुचित कार्यवाही की मांग की।

उन्होंने पत्र में लिखा- भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही सनातन धर्म की जो अनवरत धारा बह रही है उसमें अवतारी सिद्धांत रीढ़ के समान है। जब हजार साल की विदेशी दासता के बाद सनातनी हिन्दू शनैः शनैः अपनी जड़ों की ओर जा रहे थे और एकता के सूत्र में बंधते जा रहे थे और इस नाते भारतीय हिन्दुओं के बहुत बड़े हिस्से ने 2014 में भाजपा सरकार को चुना जिससे इस संक्रमण काल में हिन्दू हितों की रक्षा हो सके, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि एक फ़िल्म भगवान् राम और हनुमान जी की दैवीय और आदर्श छवि को नीचे खींच कर उन्हें सडकछाप भाषा से भरे संवाद बोलते हुए दिखाती है और इस कृत्य से भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अभी तक इस फ़िल्म के घटिया कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों को सेंसर बोर्ड और सरकार से जुड़े अन्य पदों से हटाकर दुनिया को सही सन्देश नहीं दे पाया है। फ़िल्म का संवाद लेखक कुतर्कों की बाढ़ लगाकर केवल अपनी छवि की चिंता करते हुए हनुमान जी की छवि से और ज्यादा खिलवाड़ करता है। सेंसर बोर्ड का एक अन्य सदस्य सार्वजनिक रूप से दावा करता है कि उसने तो फ़िल्म देखी ही नहीं थी, फिर उसने फ़िल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र कैसे लेने दिया। सेंसर बोर्ड के अन्य सदस्यों और इसके चेयरपर्सन ने राम कथा का मखौल उड़ाने वाली इस निम्न स्तरीय फ़िल्म को प्रमाणपत्र कैसे दिया यह जांच का विषय है। फ़िल्म और इसे प्रमाणपत्र देने वाले चंद लोग सोशल मीडिया पर आम जन को ऐसे संकेत देने के प्रयास कर रहे हैं कि वे भाजपा के बड़े से बड़े नेताओं को नजदीकी से जानते हैं। आम जन में ऐसे भाव जा रहे हैं कि ऐसी नजदीकियों की वजह से ही इन लोगों के विरुद्ध इतनी बड़े कुकृत्य करने के बावजूद समुचित कार्यवाही अभी तक नहीं हो पायी है।

क्या सेंसर बोर्ड के सदस्य, हिन्दू हितों और जनमानस में गहरे तक बसे सनातन धर्म के ईश्वरीय अवतारी चरित्रों से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अभी तक वर्तमान सेंसर बोर्ड को भंग करके सुयोग्य लोगों को वहां पहुंचाने का निर्णय नहीं ले पाया है?

माननीय प्रधानमंत्री जी का एक बड़ा प्रसिद्ध वचन रहा है “आपदा में अवसर”। फ़िल्म आदिपुरुष ने एक आपदा खडी की है ली सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक सर्वथा उचित निर्णय लेकर सारे जगत को संदेश दे सकता है कि भारतीय सनातन धर्म की छवि से खिलवाड़ किसी को भी नहीं करने दिया जाएगा| फ़िल्म द्वारा अवतारों का अपमान करने का मुकदमा उत्तर प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और दोषियों को कोर्ट से सजा प्राप्त होगी ही लेकिन तब तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय वर्तमान सेंसर बोर्ड के सदस्यों को उनके पदों से मुक्त करके आम जनता में एक उचित सन्देश दे सकता है।

यह कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि किसी विधर्मी ने हिन्दू अवतारों का अपमान नहीं किया है बल्कि ऐसा करने वाले हिन्दू परम्परा के ही हैं| हद तो यह है कि विधर्मी एक तरह से हिन्दू धर्म का उपहास कर रहे हैं कि आप लोग अपने धर्म की रक्षा नहीं कर पाए।

आपसे सविनय निवेदन है कि उचित निर्णय लेकर आम जन को मानसिक प्रताड़ना से बचाएं और ऐसा सन्देश सबको दें जिससे भविष्य में कोई भी फ़िल्म बनाने वाला व्यक्ति रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, आदि बौद्धिक ग्रंथों का उपहास न कर पाए।

आपसे शीघ्र ही समुचित कार्यवाही करने की अपेक्षा है, जिससे हम जैसे कार्यकर्ता जो सदैव दल को राजनीतिक शक्ति दिलवाने के लिए हमेशा जनता के मध्य कार्य करते रहते हैं, उन्हें जनता को हिन्दू धर्म की रक्षा करने का निर्णय दिखाने का गर्व भरा अवसर प्राप्त होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *