सावन की डेट को लेकर दूर करें कंफ्यूजन: मैदान में सावन हो चुका शुरू, पहाड़ में 17 जुलाई से होगा शुरू

  • मैदान में 4 जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगा सावन
  • पहाड़ में 17 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन
  • चान्द्र श्रावण 59 दिन का व सौर श्रावण 31 दिन का रहेगा
  • अधिकमास के चलते इस बार 59 दिनों का होगा चान्द्र श्रावण

पंडित हर्षमणि बहुगुणा

Uttarakhand

भगवान शिव का पूजन में विशेष महत्व रखने वाला सावन माह 4 जुलाई से शुरू हो चुका है, इस बार सावन 31 अगस्त तक रहेगा। मलमास या अधिकमास के चलते इस बार 59 दिनों को का माह होगा। यह संयोग 19 वर्ष बाद बन रहा है। हालांकि, संक्रांति से सावन मानने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में 17 जुलाई से सावन शुरू होगा।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन या श्रावण महीने में जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है, उसकी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। इसके साथ ही कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति का भी आशीर्वाद मिलने की मान्यता है।

मैदानी क्षेत्रों में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सावन मनाया जाता है। ऐसे में मैदानी क्षेत्रों में पहला सोमवार 10 अगस्त, दूसरा 17 (मलमास शुरू मध्य रात्रि), तीसरा 24, चौथा 31, पांचवां सात अगस्त, छठा 14 अगस्त, सातवां 21, जबकि आठवां सोमवार 28 अगस्त को होगा। वहीं, पर्वतीय क्षेत्र के लोग सूर्यमान यानी संक्रांति से संक्राति तक सावन मनाते हैं। संक्रांति 17 जुलाई सोमवार से शुरू हो जाएगी। सूर्यमान का एक ही मास होता है। इस तरह पर्वतीय क्षेत्र में एक माह ही सावन रहेगा।

हमारे धर्म शास्त्रों में भूगर्भीय सर्वेक्षण, सौर परिवार का विशद विश्लेषण, सूर्य चन्द्र की गति का वर्णन कर समाज को एक समुचित दिशा प्रदान की गई है। सात दिन का सप्ताह, पन्द्रह दिन का पक्ष चन्द्रमा की कलाओं की वृद्धि से शुक्ल पक्ष व ह्रास से कृष्ण पक्ष का निर्धारण किया गया है। दो पक्ष का एक माह और बारह मास की समयावधि एक वर्ष। भारतीय गणना के अनुसार नौ तरह के माह उनमें चार प्रकार के मासों का प्रचलन (सौर, चान्द्र, नाक्षत्र और सावन मास) है।

सौर मास और सौर वर्ष का प्रचलन व्यावहारिक रूप से चलन में है, एक सौर वर्ष 365 दिन 06 घण्टे 09 मिनट, व लगभग 11 सेकेण्ड का होता है। जबकि चान्द्र मास 29 दिन 31घटी 50 पल 7/5 विपल का होता है और चान्द्र वर्ष 354 दिन का होता है। इस तरह एक सौर वर्ष व चान्द्र वर्ष में साढ़े ग्यारह दिन का अन्तर होता है, इस अन्तर को दूर करने के लिए लगभग बत्तीस माह बाद एक चान्द्र मास बढ़ जाता है जिसे अधिक मास की संज्ञा दी जाती है।

प्रायः हर तीसरे वर्ष एक अधिक मास आता है जिसे मलिन मास, पुरुषोत्तम मास, अधिक मास कहा जाता है, हर उन्नीस वर्ष बाद लगभग उसी महीने अधिक मास होता है पर आश्विन मास को छोड़ कर अन्य महीनों में इस तरह का प्रतिबन्ध कम है। (इसे अलग से समझा जा सकता है) इस वर्ष श्रावण में अधिक मास है अधिक मास सौर श्रावण होगा। अतः चान्द्र श्रावण दो महीने का होगा जो चार जुलाई से इकतीस अगस्त तक रहेगा। सौर श्रावण सत्रह जुलाई से सोलह अगस्त तक है।

आज आम आदमी को एक भ्रम पैदा हो जाता है कि श्रावण माह प्रारम्भ ही नहीं हुआ और सोशल मीडिया, टी वी चैनलों पर व मैदानी इलाकों में कैसा श्रावण मास है। अतः भ्रम की इस स्थिति का निवारण आवश्यक है। जागरूक जन मानस का यह दायित्व है कि स्वयं भी समुचित जानकारी रख कर जन समुदाय को भी सही जानकारी प्रदान करेंगे। इस विषय पर अनेक लोगों ने अपनी जिज्ञासा व्यक्त की, आशा है इस सन्देश के माध्यम से कुछ सहायता मिल सकेगी। अधिक मास के कारण चान्द्र श्रावण 59 दिन का होगा, व सौर श्रावण 31 दिन का ही रहेगा।

17 जुलाई को संक्रांति है। 16 अगस्त तक श्रावण, व 17 अगस्त से भाद्रपद प्रारम्भ होगा। अधिक मास की गणना के कारण हमारे पर्वों व त्यौहारों पर कोई असर नहीं पड़ता है। यही भारतीय जन मानस की अनुपम भेंट है। धन्य हैं ऐसे मनीषियों को, धन्य है ऐसे देश को।

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