पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।
आज का विचार
जिस तरह नौका गन्तव्य नही, नदी पार करने का साधन है। उसी प्रकार आजीविका जीवन नही, जीवन के भोगों का आनंद लेने के लिए साधन है। आय बढ़ाने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए मगर आज का आनंद लेते हुवे।
कर्म का खाता
संतान के रूप में कौन आती है
पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नि, प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बंधी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते-नाते हैं सब मिलते है।
क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है, या इनसे कुछ लेना होता है। वैसे ही संतान के रूप में हमारा कोई पूर्वजन्म का ‘सम्बन्धी’ ही आकर जन्म लेता है।
जिसे चार प्रकार का बताया गया है :-
1. ऋणानुबन्ध :-
पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, तो वो आपके घर में संतान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो।
2. शत्रु पुत्र :-
पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा। हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रख कर खुश होगा।
3. उदासीन पुत्र :-
इस प्रकार की ‘सन्तान’, ना तो माता-पिता की सेवा करती है और न ही कोई सुख देती है और उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है। विवाह होने पर यह माता-पिता से अलग हो जाते हैं।
4. सेवक पुत्र :–
पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है, तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिये, आपके सेवा करने के लिये पुत्र बन कर आता है। जो बोया है वही तो काटोगे। अपने माँ-बाप की सेवा की है, तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी…
वरना कोई पानी पिलाने वाला भी पास ना होगा..? आप यह ना समझे कि यह सब बाते केवल मनुष्य पर ही लागू होती है। इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव भी आ सकता है।
जैसे आपने किसी गाय की निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है।
यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसके दूध देना बन्द करने के पश्चात उसे घर से निकाल दिया हो तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी।
यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा।
इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा न करें।
क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे , उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी। यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं। यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये।
ज़रा सोचिये, आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ?
जो चले गये , वो कितना सोना – चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना – चाँदी, धन – दौलत बैंक में पड़ा रह गया , समझो वो व्यर्थ ही कमाया। औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है , खुद ही खा-कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ , वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।
मैं, मेरा , तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा , कुछ भी साथ नहीं जायेगा। साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ “नेकियाँ” ही साथ जायेंगी। इसलिए जितना हो सके “नेकी” करो “सतकर्म” करो।
आज का पंचांग
शुक्रवार, दिसम्बर 6, 2024
सूर्योदय: 07:00
सूर्यास्त: 17:24
तिथि: पञ्चमी – 12:07 तक
नक्षत्र: श्रवण – 17:18 तक
योग: ध्रुव – 10:43 तक
करण: बालव – 12:07 तक
द्वितीय करण: कौलव – 23:39 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शुक्रवार
अमान्त महीना: मार्गशीर्ष
पूर्णिमान्त महीना: मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि: मकर – 05:07, दिसम्बर 07 तक
सूर्य राशि: वृश्चिक