पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसा कहा जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है।
सूर्योदय और चंद्रोदय
सूर्योदय | 06:19 पूर्वाह्न |
सूर्यास्त | 06:01 अपराह्न |
चंद्रोदय | 08:20 पूर्वाह्न 🌙 |
चंद्रास्त | 09:42 अपराह्न 🌑 |
कैलेंडर
तिथि | चतुर्थी 🌔 सायं 06:02 बजे तक |
नक्षत्र | रेवती ✨ 06:39 AM तक |
योग | शुक्ला 💫 08:57 AM तक |
करण | वनीजा 💫 सुबह 07:30 बजे तक |
काम करने के दिन | सोमवारा 🗓️ |
पक्ष | शुक्ल पक्ष 🌕 |
चन्द्र मास, संवत और बृहस्पति संवत्सर
विक्रम संवत | 2081 पिंगला |
संवत्सर | पिंगला 02:14 PM, अप्रैल 29, 2024 तक |
शक संवत | 1946 क्रोधी |
गुजराती संवत | 2081 नाला |
चन्द्रमासा | फाल्गुन – पूर्णिमांत |
दायाँ/गेट | 20 |
फाल्गुन – अमंता | फाल्गुन – अमंता |
राशि और नक्षत्र
राशि | मीन ♓ 06:39 AM तक |
नक्षत्र पद | रेवती ✨ 06:39 AM तक |
मेशा | मेष ♈ |
सूर्य राशि | कुंभ ♒ |
सूर्य नक्षत्र | शतभिषा ✨ |
सूर्य पद | शतभिषा ✨ |
रितु और अयाना
द्रिक ऋतु | वसंत 🌷 |
वैदिक ऋतु | शीत ऋतु ❄️ |
ड्रिक अयाना | उत्तरायण |
वैदिक अयन | उत्तरायण |
आज का चिंतन
परिश्रम और ईमानदारी, सौभाग्य की जननी है। मनुष्य के जीवन में अहंकार एक ऐसी दौड़ होती है, जो दौड़ जीतने के बाद भी हार जाता है.!!
आज का भगवद् चिन्तन
बुराई सुनने से भी बचें
किसी की बुराई करना और किसी की बुराई सुनना, दोनों ही वैचारिक दुर्बलता के लक्षण हैं। जो लोग आपके सामने दूसरों की बुराई करते हैं, सच समझना निश्चित ही वो लोग दूसरों से आपकी बुराई भी करते होंगे। बुरा करना ही गलत नहीं है अपितु बुरा सुनना भी गलत है। हम प्रतिदिन जैसा सुनते हैं, देखते हैं , वही होने भी लग जाते हैं। स्वस्थ अथवा स्वच्छ विचार ही जीवन की प्रसन्नता का मूल है।
उन लोगों से अवश्य ही सावधान रहने की आवशयकता है, जिन्हें दूसरों की बुराई करने में रस की प्राप्ति होती हो। विचारों का प्रदूषण विज्ञान से नहीं अपितु स्वयं के अन्तः ज्ञान से ही मिटाया जा सकता है। विचारों का प्रदूषण फैलने का कारण हमारी वो आदतें हैं जिन्हें किसी की बुराई सुनने में रस आने लगता है। बुराई को सुनना, बुराई को चुनना जैसा ही है क्योंकि जब हम बुराई सुनना पसंद करते हैं तो बुराई का प्रवेश हमारे विचारों के माध्यम से हमारे आचरण में स्वतः होने लगता है।