रूस-यूक्रेन युद्ध के साइड इफेक्ट : आठ साल में पहली बार ब्रेंट क्रूड ऑयल 100 डॉलर के पार

नई दिल्ली

Uttarakhand

रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ युद्ध की घोषणा कर दी है। उनके इस ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार आज भारी गिरावट के साथ खुले। वहीं, कच्चे तेल की कीमतें भी 101 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं।

वास्‍तव में रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है, और यूरोप को प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा सप्‍लायर है, जो इसकी  सप्‍लाई का लगभग 35 फीसदी देता है। यह संयोग ही है 8 साल पहले रूस और युक्रेन के बीच जब राजनैतिक संकट गहरा गया था तब भी क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर के पार गए थे। उसके बाद इसी संकट के दोबारा से उभरने से कच्‍चा तेल ट्रिपल डिजिट पर पहुंच गया है।

भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है मौजदूा संकट

मौजूदा संकट भारत के लिए भी महत्व रखता है, क्योंकि वह अपनी कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू कीमतों में तेजी आ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ सकती है। कोविड महामारी का प्रकोप कम होने के साथ ही देश में पेट्रोल, डीजल और अन्य प्रकार के ईंधन की मांग जोर पकड़ने लगी है। अगर देश में खपत बढ़ती है तो इससे सीधे तौर पर देश का आयात बढ़ेगा। इसके कारण बजट भी गड़बड़ा सकता है और राजकोषीय घाटा बेकाबू हो सकता है।

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