नई दिल्ली
रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ युद्ध की घोषणा कर दी है। उनके इस ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार आज भारी गिरावट के साथ खुले। वहीं, कच्चे तेल की कीमतें भी 101 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं।
वास्तव में रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है, और यूरोप को प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है, जो इसकी सप्लाई का लगभग 35 फीसदी देता है। यह संयोग ही है 8 साल पहले रूस और युक्रेन के बीच जब राजनैतिक संकट गहरा गया था तब भी क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर के पार गए थे। उसके बाद इसी संकट के दोबारा से उभरने से कच्चा तेल ट्रिपल डिजिट पर पहुंच गया है।
Asian stock markets plunged and oil prices surged Thursday after President Vladimir Putin announced Russian military action in Ukraine. https://t.co/wonr49EB2Z
— The Associated Press (@AP) February 24, 2022
भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है मौजदूा संकट
मौजूदा संकट भारत के लिए भी महत्व रखता है, क्योंकि वह अपनी कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू कीमतों में तेजी आ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ सकती है। कोविड महामारी का प्रकोप कम होने के साथ ही देश में पेट्रोल, डीजल और अन्य प्रकार के ईंधन की मांग जोर पकड़ने लगी है। अगर देश में खपत बढ़ती है तो इससे सीधे तौर पर देश का आयात बढ़ेगा। इसके कारण बजट भी गड़बड़ा सकता है और राजकोषीय घाटा बेकाबू हो सकता है।