हिमशिखर धर्म डेस्क
शुक्रवार, 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी से दस दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। इस बार गणेश चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में आ रही है। इस दिन चंद्र तुला राशि में शुक्र साथ रहेगा। सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध अपनी राशि कन्या में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र अपनी राशि तुला में रहेगा। ये चार ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे। गुरु कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री हैं।
ये पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है। इसका समापन 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा। जिसे गणेश विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा विधि विस्तार से-
गणेश चतुर्थी व्रत पूजन विधि:
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
-इसके बाद तांबे या फिर मिट्टी की गणेश जी की प्रतिमा लें।
-फिर एक कलश में जल भरें और उसके मुख को नए वस्त्र से बांध दें। फिर इस पर गणेश जी की स्थापना करें।
-गणेश भगवान को सिंदूर, दूर्वा, घी और 21 मोदक चढ़ाएं और उनकी विधि विधान पूजा करें।
-गणेश जी की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांट दें।
-10 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में गणेश जी की मूर्ति को एक, तीन, सात और नौ दिनों के लिए घर पर रख सकते हैं।
-ध्यान रहे कि गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
-गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।