सुप्रभातम्: देश की आर्थिक समृद्धि का आधार है गाय

हमारे वेद पुराणों में निहित गौवंश का महत्व केवल धर्म या आस्था का विषय नहीं, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन विज्ञान है. आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात पर अपनी मोहर लगाई है.

Uttarakhand

कमल टावरी (स्वामी कमलानंद) 

यूं तो हिंदू धर्म में गायों को विशेष महत्व दिया जाता है. लेकिन बहुत कम लोग ही गायों से जुड़े वो रहस्य जानते हैं जो हमारे ऋषि मुनि हमें बता कर गए है. आज के वैज्ञानिक भी गाय को एक अद्भुत प्राणी बता रहे हैं. तो जानते हैं कि आखिर गायों को देवी और देवता तुल्य क्यों माना जाता है.

गाय के रीढ़ में सर्वरोगनाशक गुण

गाय के रीढ़ में सूर्यकेतू नाड़ी होती है. जिसमें सर्वरोगनाशक और सर्वविषनाशक गुण होते हैं. सूर्यकेतू नाड़ी जब सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है तो स्वर्ण का उत्पादन करती है. ये स्वर्ण गाय के दूध, मूत्र और गोबर में मिल जाता है. इस तरह गाय के मिलने वाले इन चीजों का विशेष महत्त्व होता है. इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में हमारे पूर्वज करते आए हैं.

ऑक्सीजन लेने और छोड़ने वाला एकमात्र प्राणी गाय

ये वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है कि गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन लेता है और छोड़ता भी है. वहीं, मनुष्य सहित दूसरे प्राणी ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं. इस तरह गाय के आसपास रहने से ही ऑक्सीजन की भरपुर मात्रा पाई जा सकती है. गाय को घर में पालने का रिवाज भी सालों से रहा है. पहले लोग गाय को चराने जाते थे.

मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई

शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था. सभी जानवरों में मात्र गाय ही ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए माना जाता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई है. गाय हम सब को मां की तरह अपने दूध से पालती-पोषती है. आयुर्वेद के अनुसार भी मां के दूध के बाद बच्चे के लिए सबसे फायदेमंद गाय का ही दूध होता है.

मान्यताओं में गायों का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है. वहीं, ऐसी भी मान्याता है कि गायों में 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी-देवताओं का वास होता है. जिसमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र, और 2 अश्विन कुमार हैं.

मुक्ति का मार्ग गाय

शास्त्र विद्वानों की मानें तो आत्मा के विकास यात्रा में पशु-पक्षी की योनि से मुक्ति पाने का द्वार गाय से होकर ही जाता है. कहते हैं कि गाय योनि के बाद मनुष्य योनि में आना होता है.

गाश्च शुश्रूषते यश्च समन्वेति च सर्वशः।

तस्मै तुष्टाः प्रयच्छन्ति वरानपि सुदुर्लभान्।।

द्रुहोत्र मनसा वापि गोषु नित्यं सुखप्रदः।

दान्तः प्रीतमना नित्यं गवां व्युषि्ंट तथाश्नुते।

वैज्ञानिक अनुसंधानों से ज्ञात होता है कि आज गाय से दूर होकर मानवता दुख-अशांति, उपेक्षा, उपहास का शिकार हो रही है. विद्वानों ने इससे निजात के लिए भारतीय नस्ल की गायों को महत्वपूर्ण बताया. ग्लोबल वार्मिंग जैसे भयानक संकट को भी टालने और सम्पूर्ण जीवन संरक्षण के लिए गौ संरक्षण जरूरी कहा है.

गाय का सम्बंध हमारे जन्म, जीवन और मरण सभी से है

 सेवा को ही यश कीर्ति देने वाला माना गया है. ‘‘गाय का सम्बंध हमारे जन्म, जीवन और मरण सभी से है. स्वास्थ्य और समृद्धि का आधार है गौ माता. गौ संरक्षण से ही यह देश समृद्ध था, सुसंस्कृत था, दैवीय एवं भौतिक समृद्धि से भरा था. अतः आज पुनः देशवासियों को अपनी ऋषि प्रणीत परम्पराओं, गौ संरक्षण संवर्धन की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है. क्योंकि गौ को सुरक्षित, पोषित करके ही हम लोक जनमानस को सुरक्षित, पोषित एवं पुष्ट कर सकते हैं.’’

गाय, गंगा, गायत्री, गीता और गुरु का विशेष महत्व है. गाय हमारे धर्म और मोक्ष का आधार है, गाय हमारे स्वास्थ्य का आधार है, गाय हमारी आर्थिक समृद्धि की सूचक है. यदि अपनी धरती को प्राणमयी बनाना चाहते हैंं तो रासायनिक खादों से परहेज करना होगा. यदि ग्रामीण संस्कृति को जिंदा रखना चााहते हैं तो स्वदेशी गायों का पालने करना होगाा. गौवंश के गोबर-मूत्र की देसी खाद तैयार करनी होगी. गाय के गोबर और मूत्र से बायोगैस का उत्पादन कर ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा.
विदेशी नस्ल की गाय दूध ही अधिक देती है न? परन्तु उस दूध में फैट्स और प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से शूगर की बीमारी होगी और कोलैस्ट्रॉल मनुष्य के शरीर में बढ़ जाएगा. स्वदेशी गाय का दूध पौष्टिक तो है ही साथ ही निरोगी भी है.

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