हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी।
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद कोटेश्वर बांध प्रभावित पयाल गांव के ग्रामीणों का संघर्ष रंग लाता हुआ नजर आ रहा है। सोमवार को ग्रामीणों ने विस्थापन सहित अन्य मांगों के निराकरण को लेकर गांव के निकट जीरो ब्रिज-कोटेश्वर मार्ग पर चक्काजाम कर बांध परियोजना के वाहनों को रोक दिया। बाद में टीएचडीसी और प्रशासन के साथ संयुक्त बैठक में ग्रामीणों की समस्याओं पर चर्चा के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम स्थगित किया।
कोटेश्वर बांध प्रभावित पयाल गांव के ग्रामीण 15 सितंबर से पुनर्वास सहित कई मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। सोमवार को पयाल गांव के ग्रामीणों ने आंदोलन तेज करते हुए गांव के निकट जीरो ब्रिज-कोटेश्वर मार्ग पर बांध परियोजना के वाहनों को रोककर टीएचडीसी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
टिहरी बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, ग्राम प्रधान अंजलि देवी, पूर्व प्रधान उम्मेद सिंह सजवाण ने कहा कि 2017 में भूगर्भीय समिति की रिपोर्ट ने गांव को खतरे की जद में बताकर गाँव का विस्थापन करने को कहा था। बताया कि पुनर्वास विभाग ने रिपोर्ट के आधार पर भवन, पेड़ आदि की पात्रता बना दी थी। लेकिन टीएचडीसी ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिस कारण ग्रामीणों को खतरे के साये में जीने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ग्रामीणों के तेवरों को देखते हुए कोटेश्वर बांध परियोजना के महाप्रबंधक एके घिल्डियाल, तहसीलदार रेनू सैनी ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों के साथ वार्ता की। जिसमें निर्णय लिया गया कि 23 सितंबर को नई टिहरी में टीएचडीसी के ईडी यूके सक्सेना, पुनर्वास, प्रशासन के साथ संयुक्त बैठक में चर्चा की जाएगी। जिसके बाद ग्रामीणों ने 23 सितंबर तक चक्का जाम स्थगित कर दिया।